dc.contributor.author |
Vineetha K.A |
|
dc.contributor.author |
Dr. Ajitha, K |
|
dc.date.accessioned |
2017-07-21T06:01:21Z |
|
dc.date.available |
2017-07-21T06:01:21Z |
|
dc.date.issued |
2015-11-06 |
|
dc.identifier.uri |
http://dyuthi.cusat.ac.in/purl/5171 |
|
dc.description.abstract |
िशक्षा एवं जागरण के फलस्वरूप आधुिनक समाज म नारी िविभ क्षेतर्ो म
उपलिब्धयाँ हािसल करने लगी है| वह हर क्षेतर् म पुरुष के साथ कंधे से कन्धा िमलाकर
आगे बढ़ने की कोिशश कर रही है| पर िपतृसा भी हर युग म अपना वचर्स्व बनाये
रखने की कोिशश करती आ रही है| वह ी को हमेशा दूसरे दज के नागिरक के रूप म
मानती है| वह नारी की गित पर रोक लगाने का पर्यास करती रहती है क्यिक उसके
स्वाथ की पूित के िलए यह अिनवायर् है| आज़ादी के इतने वषर् बीतने पर भी नारी की
िस्थित म अनेकानेक िवडंबनाय िदखाई पड रही ह| भूमंडलीकरण भी उसे यौन िसबंल
के रूप म पिरवितत कर रहा है| |
en_US |
dc.language.iso |
other |
en_US |
dc.publisher |
Cochin University of Science and Technology |
en_US |
dc.title |
Nabbe ke Dashak ki Kavayitriyon ki kavitaon Mein Stree Vimarsh |
en_US |
dc.type |
Thesis |
en_US |