Title:
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Nabbe ke Dashak ki Kavayitriyon ki kavitaon Mein Stree Vimarsh |
Author:
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Vineetha K.A; Dr. Ajitha, K
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Abstract:
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िशक्षा एवं जागरण के फलस्वरूप आधुिनक समाज म नारी िविभ क्षेतर्ो म
उपलिब्धयाँ हािसल करने लगी है| वह हर क्षेतर् म पुरुष के साथ कंधे से कन्धा िमलाकर
आगे बढ़ने की कोिशश कर रही है| पर िपतृसा भी हर युग म अपना वचर्स्व बनाये
रखने की कोिशश करती आ रही है| वह ी को हमेशा दूसरे दज के नागिरक के रूप म
मानती है| वह नारी की गित पर रोक लगाने का पर्यास करती रहती है क्यिक उसके
स्वाथ की पूित के िलए यह अिनवायर् है| आज़ादी के इतने वषर् बीतने पर भी नारी की
िस्थित म अनेकानेक िवडंबनाय िदखाई पड रही ह| भूमंडलीकरण भी उसे यौन िसबंल
के रूप म पिरवितत कर रहा है| |
URI:
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http://dyuthi.cusat.ac.in/purl/5171
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Date:
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2015-11-06 |